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Section 305 BNS in Hindi – किसी आवासीय घर, या परिवहन के साधन या पूजा स्थल आदि में चोरी।
जो कोई चोरी करता है,
- किसी भवन, तम्बू या बर्तन में जो मानव आवास के रूप में उपयोग किया जाता है या संपत्ति की अभिरक्षा के लिए उपयोग किया जाता है; या
- माल या यात्रियों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी परिवहन के साधन में; या
- माल या यात्रियों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी परिवहन के साधन से किसी वस्तु या माल में; या
- किसी पूजा स्थल में मूर्ति या प्रतीक में; या
- सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकरण की किसी संपत्ति में, उसे किसी भी प्रकार के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक हो सकती है और जुर्माना भी देना होगा।
BNSS वर्गीकरण
- 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना।
- संज्ञेय
- गैर-जमानती
- किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय।
Section 305 BNS in English
Theft in a dwelling house, or means of transportation or place of worship, etc.
Whoever commits theft,
- in any building, tent or vessel used as a human dwelling or used for the custody of property; or
- of any means of transport used for the transport of goods or passengers; or
- of any article or goods from any means of transport used for the transport of goods or passengers; or
- of idol or icon in any place of worship; or
- of any property of the Government or of a local authority, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years and shall also be liable to fine.
BNSS Classification
- Imprisonment for 7 years and fine.
- Cognizable
- Non-Bailable
- Triable by Any Magistrate.

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 305 — “किसी आवासीय घर, परिवहन साधन, पूजा स्थल आदि में चोरी” पर विस्तृत कानूनी विश्लेषण
📌 धारा 305 BNS का सारांश (Section 305 BNS in Hindi)
धारा 305 उन मामलों में लागू होती है जहाँ चोरी (Theft) विशेष स्थानों पर होती है, जैसे:
- कोई आवासीय भवन, तम्बू, या जहाज
- यातायात का कोई साधन (बस, ट्रेन, ट्रक, आदि)
- पूजा स्थल (मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि)
- सरकारी या स्थानीय प्राधिकरण की संपत्ति
इस तरह की चोरी को कानून सामान्य चोरी से अधिक गंभीर मानता है, क्योंकि इसमें निजी या सार्वजनिक भावनाओं, सुरक्षा, या सामाजिक विश्वास का उल्लंघन होता है।
⚖️ मुख्य बिंदु (Key Ingredients to Attract Section 305 BNS in Hindi)
- चोरी का कार्य हुआ हो (यानि चोरी की गई हो)
- चोरी का स्थान निम्न में से कोई एक होना चाहिए:
- इंसानी निवास या संपत्ति की सुरक्षा का स्थान
- परिवहन का साधन या उस साधन से वस्तु
- पूजा स्थल की मूर्ति या प्रतीक
- सरकारी/स्थानीय प्राधिकरण की संपत्ति
- चोरी की मंशा (Intention to dishonestly take) साबित होनी चाहिए
- साक्ष्य और गवाह जरूरी होंगे कि चोरी वास्तव में उपरोक्त स्थानों में से किसी एक में हुई थी।
👮♂️ पुलिस इस धारा का उपयोग कैसे करती है?
- FIR सीधे दर्ज की जाती है (यह संज्ञेय अपराध है)
- बिना वारंट गिरफ्तारी संभव है
- जांच के दौरान अक्सर CCTV फुटेज, गवाह, FSL रिपोर्ट जैसी सामग्री एकत्र की जाती है
- कई बार पुलिस गलत नामांकन या संदेह के आधार पर भी आरोपी बना देती है
✅ ऐसे मामलों में अधिवक्ता सुधीर राव जैसे अनुभवी वकील की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है, जो तकनीकी गलतियों या बिना पर्याप्त सबूत के लगाए गए आरोपों का प्रभावी बचाव कर सकते हैं।
🛡️ अगर आप आरोपी हैं तो क्या करें?
- बिना डरे पहले अधिवक्ता से संपर्क करें – विशेषकर ऐसे मामलों में, अधिवक्ता सुधीर राव जैसे अनुभवी आपराधिक वकील की सलाह लेना बेहद ज़रूरी है
- FIR की कॉपी प्राप्त करें – उसमें लगाए गए धाराएं व तथ्यों की जांच कराएं
- बेल के लिए तुरंत आवेदन करें, क्योंकि यह गैर-जमानती अपराध है
- सबूत जुटाएं कि आप उस समय घटनास्थल पर नहीं थे (Alibi defense)
- जांच में सहयोग करें, लेकिन बिना कानूनी सलाह के कोई बयान न दें
👨⚖️ अगर आप शिकायतकर्ता हैं (Complainant): ध्यान देने योग्य बातें
- FIR में सही विवरण दें – चोरी का स्थान, दिन, समय, संदेह आदि स्पष्ट लिखवाएं
- प्रमाण सुरक्षित रखें – जैसे CCTV फुटेज, मोबाइल रिकॉर्डिंग, गवाहों की सूची
- पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर नज़र रखें
- यदि पुलिस निष्क्रिय हो, तो अधिवक्ता सुधीर राव जैसे अनुभवी वकील से परामर्श लेकर धारा 156(3) CrPC के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत दर्ज कराएं।
👨💼 एक कुशल वकील कैसे मदद कर सकता है?
- FIR और चार्जशीट का तकनीकी परीक्षण करके यह सिद्ध कर सकते हैं कि BNS धारा 305 को लगाने के लिए आवश्यक तत्व (ingredients) मौजूद नहीं हैं
- ज़मानत याचिका तैयार करना और मजिस्ट्रेट के सामने मजबूती से पक्ष रखना
- अदालत में क्रॉस एग्ज़ामिनेशन द्वारा गवाहों की विश्वसनीयता को चुनौती देना
- यदि आप निर्दोष हैं, तो झूठे मुकदमे से मुक्ति दिलाना
📌 जैसा कि अधिवक्ता सुधीर राव कहते हैं – “कई बार चोरी के मामलों में जल्दबाज़ी में गंभीर धाराएं जोड़ दी जाती हैं, जिनका कानूनी रूप से बचाव संभव है – बशर्ते बचाव उचित समय पर किया जाए।”
❓ सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले सवाल (FAQs on Section 305 BNS in Hindi)
प्रश्न | उत्तर |
---|---|
क्या BNS धारा 305 में ज़मानत मिलती है? | यह गैर-जमानती अपराध है, लेकिन मजिस्ट्रेट के समक्ष बेल अर्जी दाखिल कर उचित आधार पर बेल ली जा सकती है। |
क्या पूजा स्थल से मूर्ति की चोरी पर 305 लगती है? | हाँ, यदि मूर्ति या प्रतीक पूजा स्थल से चुराया गया है तो धारा 305 लागू होगी। |
अगर चोरी मोटरसाइकिल से की गई हो तो? | अगर वाहन का उपयोग माल/यात्री परिवहन के रूप में होता है, और चोरी उसी में से हुई हो, तो यह धारा लग सकती है। |
क्या सिर्फ चोरी की कोशिश पर भी 305 लगेगी? | नहीं, केवल कोशिश पर अलग धारा (जैसे BNS धारा 62: “प्रयास”) लागू होगी, जब तक चोरी पूरा किया गया कृत्य न हो। |
क्या 305 केवल सरकारी संपत्ति की चोरी पर लागू होती है? | नहीं, यह धारा निजी पूजा स्थल, आम निवास स्थान और निजी परिवहन साधनों पर भी लागू हो सकती है यदि वे मानवीय निवास/सुरक्षा/पूजा जैसे उद्देश्यों के लिए प्रयोग हो रहे हों। |
📜 सज़ा का प्रावधान (Punishment)
- अधिकतम 7 वर्ष का कारावास
- जुर्माना अलग से लगाया जा सकता है
- संज्ञेय, गैर-जमानती, किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय
✍️ निष्कर्ष (Conclusion)
धारा 305 एक गम्भीर अपराध की श्रेणी में आती है। परंतु इस धारा को लगाना तभी वैध होता है जब सभी आवश्यक कानूनी बिंदु पूरे हों।
✅ यदि आप निर्दोष हैं या किसी झूठे मामले में फंसे हैं, तो अधिवक्ता सुधीर राव जैसे अनुभवी आपराधिक मामलों के विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करें। उनका व्यवहारिक दृष्टिकोण और अदालतों में अनुभव ऐसे मामलों में न्याय सुनिश्चित करता है।
