Section 296 BNS in Hindi

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Section 296 BNS in Hindi – अश्लील हरकतें और गाने

जो भी, दूसरों की झुंझलाहट के लिए,—

(ए) किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील हरकत करता है; या
(बी) किसी सार्वजनिक स्थान पर या उसके निकट कोई अश्लील गाना, गाथागीत या शब्द गाएगा, गाएगा या बोलेगा, तो उसे तीन महीने तक की जेल की सजा या एक हजार तक का जुर्माना हो सकता है। रुपये, या दोनों के साथ.

Section 296 BNS in English

Whoever, to the annoyance of others,

  1. does any obscene act in any public place; or
  2. sings, recites or utters any obscene song, ballad or words, in or near any public place, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three months, or with fine which may extend to one thousand rupees, or with both.

BNSS Classification

  • Imprisonment for 3 months, or fine of 1,000 rupees, or both.
  • Cognizable
  • Bailable
  • Triable by Any Magistrate.
Section 296 BNS in Hindi
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📘  Section 296 BNS in Hindi – सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील कृत्य या गीत

🔹  धारा का टेक्स्ट (Section Text):

“जो कोई किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अश्लील कृत्य करता है, या कोई अश्लील गीत, कविता या शब्द गाता, पढ़ता या बोलता है जिससे दूसरों को असुविधा होती है, वह दंडनीय होगा।”


⚖️  मुख्य बिंदु (Key Elements of Section 296 BNS in Hindi):

तत्वविवरण
कृत्य (Act)कोई अश्लील (obscene) व्यवहार या क्रिया
स्थान (Location)सार्वजनिक स्थल जैसे पार्क, बस स्टॉप, रोड, स्टेशन आदि
अभिव्यक्ति (Expression)गीत, कविता, शब्द – जो अश्लील माने जाएं
परिणाम (Impact)दूसरों को असहजता या असुविधा होनी चाहिए

👮‍♂️  पुलिस इस धारा (Section 296 BNS in Hindi) का उपयोग कैसे करती है?

  1. सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें (जैसे इशारे करना, अश्लील बातें करना) होने पर पुलिस स्वतः संज्ञान ले सकती है।
  2. किसी शिकायतकर्ता के आवेदन पर FIR दर्ज की जा सकती है।
  3. वीडियो या प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के आधार पर अभियुक्त को हिरासत में लिया जा सकता है।

🔍 Advocate Sudhir Rao बताते हैं कि इस धारा का कई बार निजी दुश्मनी या सामाजिक दबाव के चलते भी दुरुपयोग होता है। ऐसे मामलों में साक्ष्य की बारीकी से जांच जरूरी होती है।


🛡️  अगर आप आरोपी हैं – क्या करें?

  1. कोई बयान ना दें जब तक आपका वकील मौजूद न हो।
  2. सार्वजनिक अश्लीलता की मंशा नहीं थी – यह साबित करने के लिए साक्ष्य जुटाएं (जैसे सीसीटीवी फुटेज, गवाह)।
  3. स्थिति की व्याख्या करें – उदाहरण: कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम था, गाना अश्लील नहीं था।
  4. Advocate Sudhir Rao जैसे अनुभवी क्रिमिनल डिफेंस वकील की मदद लें जो जमानत, FIR रद्द और केस निरस्त करवाने में निपुण हैं।

👥  अगर आप शिकायतकर्ता हैं – क्या करें?

  1. घटना का स्पष्ट विवरण दें – समय, स्थान, क्या देखा, कैसे असहजता हुई।
  2. वीडियो/गवाह एकत्र करें – यह केस मजबूत करता है।
  3. FIR दर्ज कराएं – स्थानीय थाने में जाकर या ऑनलाइन।
  4. Advocate Sudhir Rao से सलाह लेकर केस में ज़रूरी कानूनी धाराएं जुड़वाएं और पुलिस जांच की निगरानी करवाएं।

बिंदुजानकारी
सजाअधिकतम 3 महीने की कैद या ₹1000 जुर्माना या दोनों
जमानतजमानती अपराध – थाने से ही बेल मिल सकती है
प्रकृतिसंज्ञेय अपराध – पुलिस स्वतः संज्ञान ले सकती है
विचारणीय अदालतप्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate First Class)

⚖️  BNS की अन्य धाराएं जो इसके साथ लग सकती हैं:

धारास्थिति
BNS 77अगर सार्वजनिक उपद्रव हुआ हो
BNS 351(1)यदि किसी ने जानबूझकर धमकी दी हो
BNS 356अगर किसी को अश्लील इशारों से अपमानित किया गया हो

🔍 पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (FAQs):

❓ Q1. क्या सार्वजनिक चुंबन BNS 296 के अंतर्गत आता है?

उत्तर: नहीं जरूरी नहीं। जब तक चुंबन अश्लील और सामाजिक मर्यादा के विरुद्ध नहीं हो और दूसरों को असहज न करे, तब तक यह अपराध नहीं है।

❓ Q2. अगर कोई गाना अश्लील है लेकिन सभी लोग उसका आनंद ले रहे हैं तो क्या ये अपराध है?

उत्तर: केवल तभी अपराध बनेगा जब कोई व्यक्ति उसे आपत्तिजनक मानते हुए शिकायत दर्ज कराए, और यह सिद्ध हो कि गाने से “सार्वजनिक शालीनता” को क्षति पहुंची।

❓ Q3. क्या पुलिस बिना शिकायत के भी कार्रवाई कर सकती है?

उत्तर: हां, यह संज्ञेय अपराध है, इसलिए पुलिस स्वतः संज्ञान (suo motu) ले सकती है यदि उन्हें घटना की जानकारी हो।

❓ Q4. क्या सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट डालना इस धारा के अंतर्गत आएगा?

उत्तर: नहीं। वो साइबर अपराध की श्रेणी में आता है (जैसे IT Act की धारा 67)। BNS 296 सिर्फ “सार्वजनिक स्थान” पर की गई क्रिया पर लागू होती है।


👨‍⚖️  Advocate Sudhir Rao की विशेषज्ञ राय:

“BNS धारा 296 देखने में मामूली लगती है, लेकिन अगर इसे सही ढंग से चुनौती न दी जाए, तो इससे पुलिस रिकॉर्ड खराब, सरकारी नौकरी में समस्या, और सोशल बदनामी हो सकती है। ऐसे मामलों में, तुरंत कानूनी कार्रवाई शुरू करना ही सबसे बड़ा बचाव है।”

Advocate Sudhir Rao, Criminal Law & FIR Defense Expert, Supreme Court of India


📌  निष्कर्ष (Conclusion):

BNS धारा 296 का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक शालीनता और नैतिकता की रक्षा करना है। हालांकि, इसका कई बार गलत उपयोग भी किया जा सकता है – जैसे प्रेमी जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई, सांस्कृतिक प्रदर्शन पर आपत्ति आदि।

चाहे आप शिकायतकर्ता हों या आरोपी – समझदारी से कानूनी सलाह लेना ज़रूरी है। Advocate Sudhir Rao जैसे अनुभवी वकील के मार्गदर्शन में उचित कानूनी कदम उठाकर आप या आपके क्लाइंट इस धारा से बचाव पा सकते हैं।

Section 296 BNS in Hindi
Section 296 BNS in Hindi

⚖️  Section 296 BNS in Hindi में FIR रद्द (Quashing) कैसे कराई जा सकती है?


🔍  कानूनी आधार: CrPC धारा 482 – हाई कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियाँ

जब कोई FIR झूठे आरोप, निजी बदले, सामाजिक दबाव या बिना किसी ठोस आधार के दर्ज की गई हो, तब आरोपी हाई कोर्ट में CrPC की धारा 482 के तहत याचिका दायर कर सकता है


कारणविवरण
कोई अश्लील कृत्य नहीं हुआसार्वजनिक अश्लीलता की स्पष्ट परिभाषा नहीं होने पर, FIR को रद्द कराया जा सकता है।
किसी को असहजता नहीं हुईअगर कोई शिकायतकर्ता नहीं है या कोई सार्वजनिक असुविधा सिद्ध नहीं हुई है।
FIR द्वेष या बदले की भावना से की गईयदि यह मामला निजी दुश्मनी, जातिगत भेदभाव या नैतिक पुलिसिंग के तहत दर्ज किया गया है।
कोई गवाह या सबूत नहीं हैCCTV, वीडियो, फोटो या चश्मदीद गवाहों की अनुपस्थिति में केस कमज़ोर हो जाता है।
✔️ पार्टियों में समझौता हो गया हैअगर शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया हो, तो कोर्ट FIR रद्द कर सकती है।

📄  FIR रद्द कराने के लिए जरूरी दस्तावेज़:

  • FIR की प्रति
  • आरोप-पत्र (यदि दाखिल हो चुका है)
  • आपकी पक्ष की शपथपत्र (Affidavit)
  • घटना के वीडियो/ऑडियो/गवाह (यदि उपलब्ध हों)
  • यदि समझौता हुआ हो तो उसका लिखित रूप
  • समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णय

👨‍⚖️  Advocate Sudhir Rao की कानूनी विशेषज्ञता का लाभ:

Advocate Sudhir Rao न केवल सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत एक अनुभवी क्रिमिनल लॉयर हैं, बल्कि ऐसे कई मामूली आपराधिक मामलों में FIR रद्द कराने में सफलतापूर्वक प्रतिनिधित्व कर चुके हैं

उनकी विशेषज्ञता विशेष रूप से यह साबित करने में होती है कि:

  • FIR में लगाए गए आरोप कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं हैं
  • यह मामला “कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग” है
  • FIR में उल्लिखित तथ्य BNS धारा 296 की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते

“BNS की धारा 296 का कई बार समाजिक दबाव, नैतिकता थोपने या झूठी शिकायतों के रूप में दुरुपयोग होता है। ऐसे मामलों में कोर्ट केवल तभी हस्तक्षेप करता है जब तथ्यों के आधार पर यह साबित किया जाए कि FIR का कोई कानूनी औचित्य नहीं है।”

Advocate Sudhir Rao, Criminal Defense Expert


📚  FIR रद्द करने में मदद करने वाले सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्णय:

  1. State of Haryana vs Bhajan Lal (1992)
    • FIR रद्द करने के लिए 7 मापदंड निर्धारित किए गए हैं।
  2. Narinder Singh vs State of Punjab (2014)
    • समझौते के आधार पर भी FIR रद्द की जा सकती है, भले ही अपराध संज्ञेय हो।
  3. Subhramaniyam Sethuraman vs State of Maharashtra
    • यदि FIR में कोई कानूनी अपराध नहीं बनता, तो कोर्ट FIR को रद्द कर सकती है।

🔧  FIR रद्द कराने की प्रक्रिया (Step-by-Step Guide):

चरणकार्य
1️⃣किसी अनुभवी वकील (जैसे कि Advocate Sudhir Rao) से संपर्क करें
2️⃣FIR, आपके पक्ष के दस्तावेज़, साक्ष्य तैयार करें
3️⃣CrPC की धारा 482 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर करें
4️⃣यदि संभव हो तो शिकायतकर्ता से समझौता कर लें
5️⃣कोर्ट में तर्क रखें कि BNS 296 के लिए आवश्यक तथ्यों का अभाव है
6️⃣हाई कोर्ट से FIR रद्द होने का आदेश प्राप्त करें

  • FIR को हल्के में न लें – यह पासपोर्ट, सरकारी नौकरी या वीज़ा आवेदन में बाधा बन सकती है।
  • समय पर कदम उठाएँ – आरोपपत्र दाखिल होने से पहले ही याचिका डालना ज़्यादा प्रभावी होता है।
  • पुलिस से बयान देने में सतर्क रहें – बिना वकील के बयान देने से बचें।

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