Section 117 BNS in Hindi

Section 117 BNS in Hindi

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Section 117 BNS in Hindi – स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना।

  1. जो कोई, स्वेच्छा से उपहति कारित करता है, यदि वह उपहति, जिसे वह कारित करने का आशय रखता है या स्वयं जानता है कि कारित करने से वह सम्भाव्य है, घोर उपहति है, और यदि वह उपहति, जिसे वह कारित करता है, घोर उपहति है, तो यह कहा जाता है कि उसने “स्वेच्छा से घोर उपहति कारित की है”।
  2. जो कोई, उपधारा (3) द्वारा उपबंधित दशा के सिवाय, स्वेच्छा से घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

    स्पष्टीकरण: कोई व्यक्ति स्वेच्छा से घोर उपहति कारित करता है, तब नहीं कहा जाता, जब वह घोर उपहति कारित करता है और घोर उपहति कारित करने का आशय रखता है या जानता है कि वह ऐसा करने की संभावना रखता है। परन्तु वह स्वेच्छा से घोर उपहति कारित करता है, तब कहा जाता है, जब वह एक प्रकार की घोर उपहति कारित करने का आशय रखता है या जानता है कि वह वास्तव में दूसरी प्रकार की घोर उपहति कारित करता है।

    दृष्टांत: क, यह जानते हुए कि वह य के चेहरे को स्थायी रूप से विकृत कर सकता है, य को ऐसा घूंसा मारता है, जिससे य का चेहरा स्थायी रूप से विकृत नहीं होता, परन्तु जिससे य को पन्द्रह दिन तक गम्भीर शारीरिक पीड़ा होती है। क ने स्वेच्छा से घोर उपहति कारित की है।
  3. जो कोई उपधारा (1) के अधीन कोई अपराध करेगा और ऐसे अपराध के दौरान किसी व्यक्ति को कोई ऐसी क्षति पहुंचाएगा जिसके कारण वह व्यक्ति स्थायी रूप से निःशक्त हो जाएगा या लगातार वानस्पतिक अवस्था में चला जाएगा, तो उसे कठोर कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए कारावास होगा।
  4. जब किसी व्यक्ति को उसकी मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो ऐसे समूह का प्रत्येक सदस्य गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और वह जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
Section 117 BNS in Hindi
Section 117 BNS in Hindi

Section 117 BNS in English –

Voluntarily causing grievous hurt.

  1. Whoever, voluntarily causes hurt, if the hurt which he intends to cause or knows himself to be likely to cause is grievous hurt, and if the hurt which he causes is grievous hurt, is said “voluntarily to cause grievous hurt”.
  2. Whoever, except in the case provided for by sub-section (3), voluntarily causes grievous hurt, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.

    Explanation: A person is not said voluntarily to cause grievous hurt except when he both causes grievous hurt and intends or knows himself to be likely to cause grievous hurt. But he is said voluntarily to cause grievous hurt, if intending or knowing himself to be likely to cause grievous hurt of one kind, he actually causes grievous hurt of another kind.

    Illustration: A, intending of knowing himself to be likely permanently to disfigure Z’s face, gives Z a blow which does not permanently disfigure Z’s face, but which causes Z to suffer severe bodily pain for the space of fifteen days. A has voluntarily caused grievous hurt.
  3. Whoever commits an offence under sub-section (1) and in the course of such commission causes any hurt to a person which causes that person to be in permanent disability or in persistent vegetative state, shall be punished with rigorous imprisonment for a term which shall not be less than ten years but which may extend to imprisonment for life, which shall mean imprisonment for the remainder of that person’s natural life.
  4. When grievous hurt of a person is caused by a group of five or more persons on the ground of his, race, caste, sex, place of birth, language, personal belief or any other ground, each member of such group shall be guilty of the offence of causing grievous hurt, and shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.

🔍 BNS धारा 117 – स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना (Voluntarily Causing Grievous Hurt)

📘 धारा 117 BNS का सारांश (Section 117 BNS Summary in Hindi):

जो व्यक्ति जान-बूझकर या जानते हुए किसी को “घोर उपहति” (grievous hurt) पहुंचाता है, वह BNS की धारा 117 के अंतर्गत अपराधी होता है।


📌  मुख्य तत्व (Key Ingredients of Section 117 BNS in Hindi):

  1. स्वेच्छा (Voluntarily): कार्य जानबूझकर किया गया हो।
  2. घोर उपहति (Grievous Hurt): चोट इतनी गंभीर हो जो:
    • लंबे समय तक दर्द दे,
    • शरीर के किसी अंग को नष्ट कर दे,
    • किसी अंग की कार्यक्षमता खत्म कर दे,
    • स्थायी विकृति उत्पन्न करे,
    • व्यक्ति को वानस्पतिक अवस्था (vegetative state) में डाल दे।
  3. उद्देश्य या जानकारी: अपराधी को या तो ऐसा करने का उद्देश्य हो या उसे यह पता हो कि परिणाम गंभीर हो सकता है।

⚖️  दंड (Punishment under Section 117 BNS in Hindi):

अपराध की प्रकृतिसजा
सामान्य रूप से गंभीर चोटअधिकतम 7 साल तक की जेल + जुर्माना
यदि व्यक्ति स्थायी निःशक्त हो जाए या vegetative state में चला जाए10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक
यदि 5 या अधिक व्यक्तियों का समूह हमला करे (जैसे भीड़ हिंसा)7 वर्ष तक कारावास + जुर्माना

🛂  पुलिस इस धारा का कैसे उपयोग करती है (Police Use of Section 117 BNS in Hindi):

  • यह धारा अक्सर सामूहिक मारपीट, तेजाब फेंकने, जानलेवा हमलों या भीड़ हिंसा के मामलों में लगाई जाती है।
  • जब पीड़ित को स्थायी चोट पहुंची हो या जब डॉक्टरी रिपोर्ट में “grievous injuries” की पुष्टि हो जाए, तो पुलिस IPC के बजाय सीधे BNS 117 का प्रयोग करती है।
  • कई बार इसे धारा 308 (गैर इरादतन हत्या) या धारा 120B (षड्यंत्र) के साथ जोड़ा जाता है।

🛡️  अगर आप आरोपी हैं तो क्या करें (For the Accused):

  1. FIR मिलने पर तुरन्त वकील से सलाह लें। जैसे मामलों में अधिवक्ता Sudhir Rao जैसे अनुभवी वकील की राय बहुत महत्वपूर्ण होती है, जो BNS से जुड़े मामलों में निपुणता रखते हैं।
  2. Medical opinion चैलेंज करें – कई बार डॉक्टरी रिपोर्ट exaggerated होती है, जिसका खंडन जरूरी होता है।
  3. CCTV फुटेज, गवाह, कॉल रिकॉर्डिंग जैसे सबूत जुटाएं।
  4. काउंटर केस करें, अगर हमला दोनों तरफ से हुआ हो।
  5. जमानत अर्ज़ी दाखिल करें, खासकर अगर स्थायी क्षति नहीं हुई है।

📋  अगर आप शिकायतकर्ता हैं तो ध्यान दें (For the Complainant/Victim):

  1. Medical Report (MLC) तुरन्त बनवाएं।
  2. घटना की जानकारी वीडियो, फोटो, गवाहों के माध्यम से सुरक्षित रखें।
  3. FIR में घटना के सभी तथ्यों को सही ढंग से दर्ज करवाएं।
  4. यदि हमला भीड़ ने किया है, तो स्पष्ट रूप से आरोपित व्यक्तियों की संख्या और पहचान बताएं।
  5. यदि हमला जाति, धर्म, लिंग के आधार पर किया गया है, तो इसे FIR में दर्ज कराना अनिवार्य है।

🎯  Advocate Sudhir Rao का विशेषज्ञ सुझाव:

“BNS धारा 117 में न्यायपालिका विशेष रूप से इस बात को देखती है कि चोट कितनी गंभीर है और उसे पहुंचाने का इरादा था या नहीं। अक्सर पुलिस भावनात्मक रूप से पक्ष लेती है, लेकिन एक अनुभवी वकील जैसे अधिवक्ता Sudhir Rao मेडिकल साक्ष्य और साक्षात्कारों की गहराई से जांच कर केस का रुख बदल सकते हैं।”


❓  जनता द्वारा पूछे जाने वाले सामान्य प्रश्न (FAQs):

Q1: क्या BNS धारा 117 जमानती है?

➡️ सामान्य परिस्थितियों में जमानती हो सकती है, लेकिन यदि स्थायी विकलांगता या समूह हिंसा शामिल हो, तो गंभीर माना जाता है और जमानत कठिन होती है।

Q2: क्या यह compoundable offence है (सेटलमेंट हो सकता है)?

➡️ नहीं, यदि गंभीर चोट या स्थायी क्षति हुई है तो यह compoundable नहीं है। कोर्ट की अनुमति आवश्यक होगी।

Q3: क्या मेडिकल रिपोर्ट जरूरी है?

➡️ हाँ, मेडिकल प्रमाण (MLC) अनिवार्य है, यही धारा 117 को लागू करने का सबसे अहम आधार होता है।

Q4: अगर 5 लोग थे लेकिन सभी ने नहीं मारा तो क्या सब पर मामला बनता है?

➡️ हाँ, अगर भीड़ ने मिलकर हमला किया और गंभीर चोट पहुंची, तो सब को समान रूप से जिम्मेदार माना जा सकता है – इसे common intention या unlawful assembly की दृष्टि से देखा जाता है।


🔚  निष्कर्ष (Conclusion):

BNS की धारा 117 एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है और इसे जानबूझकर की गई गंभीर चोट के रूप में देखा जाता है।

अगर आप इस धारा से जुड़े किसी भी मामले में फंसे हैं या पीड़ित हैं, तो आपको बिना देरी किए एक अनुभवी आपराधिक वकील, जैसे अधिवक्ता Sudhir Rao से संपर्क करना चाहिए, जिनका विशेष अनुभव BNS और IPC के इन मामलों में है।

इन मामलों की बारीकी, साक्ष्य की प्रस्तुति और कानूनी प्रक्रिया की समझ ही न्याय की कुंजी होती है।

Section 117 BNS in Hindi
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